Thursday, December 24, 2009

Free Stammering Meeting (FSM )

 फ्री हकलाहट मीटिंग का नाम  ऍफ़ .एस ऍम  मै दे रहा हु | मित्रो मै चाहता हु की हम सभी हकलाने वाले एक जगह प्रतेक रविवार को मिले और हकलाहट के सभी पहेलुऊ को बिस्तार से समझे ,मित्रो मै रविवार को आप सभी से मिलने के लिए समय देना चाहता हु ,मै चाहता हु की हम सब रविवार को मैहर में मिले और बाते करे | यदि कोई हकलाने वाला व्यक्ति है और वह रविवार को आता है हो मै उसे पूरा समय दुगा और हकलाहट की पूरी जानकारी दुगा | हमे आप लोगोसे बात करने में बहुत ख़ुशी होगी ,और गर्व भी होगा , और बहुत सी बातो पर चर्चा करना है आने में संकोच मत कीजिये अक्सर मै देखता हु की हकलाने वाले लोग मोबाईल में बात करने में संकोच करते रहते है | हमको गर्व होगा जब आप का फ़ोन आएगा ,मै पूरी लगन से ,ध्यान से , आप की बात सुनता हु  , आपका  स्वागत है मोबाईल में ,फ़ोन में ,मीटिंग में  

Monday, December 21, 2009

How can you stammering Control


दोषतो मै आज आप से यह बताउगा की हकलाना को ठीक करने के लिए मेरे अन्दर हिम्मत कैसे आयी | मै ग्यारवी का पेपर दे रहा था तभी मेरे घर में राजदूत गाड़ी खरीदी गई | मै बहुत उत्सुक था गाड़ी चलाना सिखने के लिए ,मै पहले बंद गाड़ी को ही धकेलता था चुकी अंकल और पापा जी का डर हुआ करता था , बच्चो को गाड़ी चलाना अलाऊ नही था ,उनके घर पर न रहने पर घर के अन्दर ही गाड़ी को धकेलता था ,कभी गाड़ी में बैठ कर तो कभी गाड़ी के साथ पैदल चल कर | ऐसा १-२ माह चलता रहा ,एक दिन घर में कोई नही था तभी मै हिम्मत जुटाया और गाड़ी घर के बहार निकला और स्टार्ट करके गयर लगाया और क्लच जैसे ही छोड़ा गाड़ी बंद हो गई | बार बार यही होता और मै अन्दर से डर भी रहा था की ( अंकल आगये तो , गाड़ी भीड़ गयी तो ,गाड़ी गिर गयी तो ) लेकिन गाड़ी चलाना सीखना ही था | मै बार बार बार बार प्रयाश करता रहा सिखने के दौरान मेरे छोटे भाई को चोटभी आयी ,गाड़ी भी गिरी ,डाट भी पड़ी | फ़िर भी गाड़ी सिखा जब गाड़ी सिख रहा था तब बहुत डर था अंकल का ,गाड़ी गिरने का ,चोट लगने का ,गयर- क्लच -अक्सिलेटर -ब्रक, लगाने का | गाड़ी सिखने के बाद किसी का बिल्कुल भी डर नही रहा
शिक्षा
दोषतो एक तरफ मै गाड़ी सिख रहा था सफल हो रहा था दूसरी तरफ़ हकलाहट डिमक की तरह अन्दर ही अन्दर मुझे बर्बाद कर रही थी ,कुछ समझ में नही आरहा था की मै कैसे आंगे बढू ,क्या करू , जिस काम की सुरुआत करू उसी में हकलाहट की वजह से फ़ैल हो जाऊ

गाड़ी सिखने के बाद मै अन्दर से सोचा यार गाड़ी चलाना मै सिख सकता हु तो बोलना भी तो शीख सकता हु
और कहते है की यदि किसी काम को अन्दर से , मन से , संकल्प के साथ प्रतिज्ञा करके शुरू किया जाय तो वह उस काम का सफल रिसल्ट उसी समय तय हो जाता है, बाकि रहती है सिर्फ़ प्रोसेस | प्रोसेस कम्पलीट होने पर वही रिसल्ट मिलता है, जो आप ने शुरू में प्रतिज्ञा किया था | ये बात अवश्य है की प्रोसेस में कुछ कठिनाई ,कुछ उतर चड़ाव अवश्य आते है| यदि आप का लगन ,प्रतिज्ञा निश्चित है तो इन समश्यो को आसानी से जीता जा सकता है |
मैंने अपनी हकलाहट को कैसे कंट्रोल करना प्रारम्भ किया
मै कई स्पीच थेरापिस्ट , ई एन टी डॉक्टर से सुन चुका था और डिप्लोमा और सैकोलोजी ग्रेजू एसन से मुझे थेओरी पता हो चुकी थी की हकलाहट को कंट्रोल करने के कुछ स्टेप है
१-स्पीड धीमा करना :- स्पीड धीमा से मेरा मतलब यह नही है की विल्कुल धीमा बोलो , लेकिन सोफ्ट ,स्मूथ ,सपष्ट , बिना प्रेसर के बोलना चाहिए , लेकिन यह आसन काम नही था क्योकि हमारी आदत पीछेले २५ वर्ष से पक्की हो चुकी थी | मै जितना स्पीड कंट्रोल करता उतना ही मेरी स्पीड बढ रही थी ,मै कई बार ऐसा मह्सुश कर रहा था की यह न मुमकिन है ,बार बार प्रयाश करता और हर बार  हार जाता ,  एक कविता को मै बार बार पढ़ता  और फिर चार्ज हो जाता  ,आप कविता सुनना चाहेगे
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लहरों से डर कर, नौका कभी पार नहीं होती |
कोशिश करने वालो की, कभी हार नहीं होती ||
एक नन्ही चीटी ,जब दाना लेकर चलती है |
चढ़ती दीवारों में ,सौ बार फिसलती है ||
चढं कर गिरना ,गिरकर चढ़ना न अखरता है |
मन का बिश्वश रगों में, सहस भरता है ||
आखरी उसकी मेहनत, बेकार नहीं होती |
कोशिश करने वालो की कभी हार  नहीं होती ||
असफलता एक चुनौती है , स्वविकार करो |
देखो क्या कमी रह गयी है ,और सुधार करो ||
जब तक सफल न हो ,नीद जैन की त्यागो तुम |
संघ्रसों का मैदान छोड़, मत भोगो तुम||
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती
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दोषतो बस यही कविता मुझे मोटीबेट करती थी और मै कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं , मेरे मन में कभी ऐसी बात ही नहीं आई की मै मेरी हकलाहट ठीक नहीं होगी ,

Stammering Medicine

आप सब लोगो  को बड़ी  बेताबी से  हकलाहट की  दवाई खोजते नजर आते  मै  देखता हु |  पहले  मै भी ,यही  सोचता  था  की  कोई न कोई दवाई तो अवश्य  होगी  जो हमारी हकलाहट को ठीक कर देगी,कई डाक्टरों को हकलाहट के  इलाज के लिए जाता  था जैसे ही मन में आता की अब बोलना है की मै हकलाता हु,  वैसे ही डर बोलता की- तुम्हारी बदनामी होगी मत कहो' डाक्टर   हँसेगे, और मै बोलता की डॉक्टर  साहब मुझे बुखार आती है ,   दवाई लेता और  चला आता, एक बार हद तब हो गई जब मुझे बिना बुखार के, सूजी लगवानी पड़ी
दोषतो आप को हकलाहट की दवाई अवश्य मै दुगा  जो मैंने खाई थी  वह दवाई है विचारो को बदलने की ,थोडा थोडा डेली अपने  आप को बदलने की ,हकलाहट को स्वाविकार करने की , ठीक बोलने की कोशिश करने की ,यदि आप केवल  थोड़ी  सा प्रयास करेगे , आपने आप को बदलने की, तो आप पायेगे की, आप तो थोड़ी प्रयास कर रहे है  लेकिन  भागवान आप को अधिक फल देगा |  यहाँ मै कुछ बाते लिखता हु जो आप को सफलता अवश्य दिलाएगी
1- मुझे  हमेशा याद रखना  चाहिए की मै तनाव मुक्त्य ,निडर  आत्मा विश्वाशी आराम से बोलने  वाला  आदमी हु |
२- आदत को सुधारना है  थोडा अ आप को स्पीड धीमी करनी होगी | मै यहाँ पर एक बात कहुगा की हकलाने वाले लोग यह मानते ही नहीं की मै अधिक स्पीड से बोलता हु ,या जानते ही नहीं है की अनियंत्रित स्पीड हमारी हकलाहट का एक कारण है |
हम सबको थोडा सा स्पीड कम करना चाहिए ,बहुत से लोग कहते है की मै धीरे नहीं बोल सकता | मै आप से यह नहीं कह रहा हु की आप बिलकुल धीमा गाने जैसा बोलो ,लेकिन इतना कण्ट्रोल करो की आप के स्पीच ओरगन सही वर्क कर सके ,आप को बोलने का मौका मिले ,आप को सोचने का मौका मिले , आप की आवाज सुनने वालो को समझ में आनी चाहिए | अब सवाल यह है  की मै कितना धीमा बी बोलु , आप स्याम अपनी आवाज सुनो ,और जो स्पीड आप को सुनने ,समझने  में ठीक लगे वाही आप की सही स्पीड होगी ,प्रारंभ में आप थोडा और धीमा बोले तो बेहतर होगा ,लेकिन गाने जैसा नहीं बोलना चाहिए |
जब आप धीमा बोलने की कोशिश करेगे तो प्रारंभ में थोडा अटपटा लगेगा क्योकि आप अधिक स्पीड बोलने के आदि है| आप के मन में कुछ नेगतीवे विचार भी आयेगे जैसे मै कब तक धीमा बोलूगा , इतनी देर मेरी बात कौन सुनेगा , मै अभी नहीं बाद में धीरे बोलूगा , अभी यहाँ एसे ही बोलता हु बाद में सुधारुगा , सभीलोग तो स्पीड ही बोलते है वह क्यों नहीं अटकते है ,मै ही क्यों अटकता हु 
हमको  कुछ बदलना पड़ेगा ,अपने आप को ,विचारो हो , स्पीच ओरगन के वोर्किंग करने के तरीको को , एक फ़ॉर्मूला याद आता है
 चेंज ( अपने आप को )               =                सुधार ( आप की स्पीच में )
१  स्पीड कण्ट्रोल                            २- आप की स्पस्ट  आवाज आयेगी 
२ -स्पीच ओरगोन                           २-  चेहरा में सिकुडन ख़त्म होगी 
३- हकलाना को स्वबिकर करो        ३-  डर दिमाग से Niklega 

4-ध्यान से दुसरो की बात सुनो   ४= अंसार  देने ,और प्रशन पूछने का मनोबल बढेगा
५- स्माल स्माल वाक्य उपयोग करना     ५=लम्बे समय तक बात कर सकते हो

  

Saturday, December 5, 2009

Maihar