Thursday, May 6, 2010

हकलाने की समस्या होगी दूर, गुणसूत्रों की हुई पहचान

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haklanaक्या आप जानते हैं दुनिया की 1% आबादी बोलने में दिक्कत महसूस करती है और हकलाती है. 1% कम अनुपात लग सकता है लेकिन दुनिया की कुल आबादी को ध्यान में रखे तो हकलाहट की समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या काफी अधिक है.

अब वैज्ञानिकों ने उन तीन गुणसुत्रों की पहचान कर ली है जो इस विकार के लिए जिम्मेदार होते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन गुणसूत्रों में कोई भी बदलाव समस्याएं उत्पन्न कर सकता है और इससे दिमाग के कुछ हिस्से प्रभावित होते हैं और हकलाने की समस्या उत्पन्न होती है.

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में प्रकाशित खबर के अनुसार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन डीफ़नेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसॉर्डर्स (एनआईडीसीडी) की टीम ने इन गुणसूत्रों की पहचान की है और इससे ना केवल हकलाने की बल्कि और भी कई अन्य समस्याएँ ठीक हो सकती है.

हकलाने की समस्या कैसे हो सकती है ठीक? 
यदि बच्चों में इस समस्या का पता चल जाए तो थोड़े अभ्यास के द्वारा उसे दूर कराया जा सकता है लेकिन वयस्क व्यक्ति के लिए यह आसान नहीं होता. वयस्क व्यक्ति सांस से जुड़े कुछ व्यायाम के माध्यम से यह विकार दूर कर सकते हैं.

लेकिन इसके साथ ही दो गुणसूत्रों जीएनपीटीएबी और जीएनपीटीजी में बदलाव भी आवश्यक है. इस संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार मात्र अभ्यास से यह विकार पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो सकता.

एनआईडीसीडी के प्रमुख जेम्स बैटी के अनुसार अब इन गुणसूत्रों की पहचान के बाद हकलाने की समस्या का पूर्ण इलाज