Saturday, August 28, 2010

हकलाहट : दिल पे मत ले यार . . . !

समाज का हकलाहट के बारे में बहुत ही गलत नजरिया देखने को मिलता है. आमतौर पर हकलाने वालों का मजाक उड़ाया जाता है जिससे वे धीरे-धीरे अपने ही परिवार और समाज से अलग होने लगते हैं.

दुःख उस समय और ज्यादा होता है जब हिंदी फिल्मों में हकलाहट को हंसी के साधन के रूप में परोसा जाता है. आजकल बॉलीवुड की अधिकतर फिल्मों में कहीं न कहीं पात्रों से हकलाहट का अभिनय करवाने की परंपरा सी चल पडी है. शाहरूख खान ने तो कई फिल्मों में हकलाहट का अभिनय किया है और हकलाहट वाले उनके डायलाग बहुत मशहूर रहे हैं.

पर यहाँ एक अहम् सवाल यह है की आखिर कब तक हकलाहट दोष को मनोरंजन के रूप में समाज उपयोग करता रहेगा. इस दिशा में मीडिया को आगे आना चाहिए. हमारा समाज फिल्मों और मीडिया से बहुत कुछ सीखता है और उससे काफी हद तक प्रभावित भी होता है, इसलिए फिल्मों, टीवी धारावाहिकों में हकलाहट को हँसी के रूप में प्रस्तुत करना बंद करना चाहिए. और जहाँ तक संभव हो सके हकलाहट दोष के प्रति सकारात्मक बातें दिखने से समाज में सही सोच का विकास होगा.

और हाँ... अगर आपको देखकर कोई हँसता भी है तो दिल पे मत ले यार . . . अकसर हम लोग स्पीच की कई तकनीको का इस्तेमाल करने में संकोच करते हैं की सामने वाला क्या सोचेगा. मै यहाँ कहना चाहता हूँ की सामने वाला हँसने के के अलावा और क्या करेगा? स्पीच की तकनीको का इस्तेमाल कर सही तरीके से बोलने की कोशिश करने पर आपको कोई थप्पड़ नहीं मारेगा और और ना ही सजा देगा, लेकिन बार-बार गलत तरीके से बोलकर और संकोच कर हम लोग जरूर अपनी वाणी को ख़राब करते है.

आपकी हकलाहट को सिर्फ आप ही दूर कर सकते हैं.

मशहूर कवि दुष्यंत कुमार ने कहा है :-

कौन कहता है आसमान से सुराख़ नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...

हकलाना को दोस्त कैसे बनाये

जब हम ठीक बोलते है तब बहुत खुस होते है , और अटक गए तो बहुत दुखी होते है ,| आप को पता है ठिक बोलने कि कोशिश करना ही हकलाना है हम  हमेशा यही सोचते है कि ठीक से बोलु  और अटक ही जाते है | आप सोचिये १०-२०-३० वर्ष से आप ठीक बोलने ही सोचते है और रिजल्ट हकलाना होता है , अब यदि और सोचगे कि मै हकलाउगा  नहीं तो रिजल्ट भी वाही आयेगा जो १०-२०-३०- वर्ष से आ रहा है किसीने कहा है कि "नये रिजल्ट के लिए नया वर्क करना पड़ता है " आप बहुत वर्ष ठीक बोलने का प्रयाश किया अब तरीका बदल क़र देखिय अर्थात स्वाविकार करके  bouncing  करके बोलिए तब आप पायेगे कि जिसे आप १०-२०-३० वर्ष से ढूढ़ रहे है वह आप के ही पास है | जिसे आप दुस्मन मान रहेथे वह आप का दोस्स्त है ,जिसे भागवान से आप को गिफ्ट में दिया है | आप को गर्व होना चाहिए कि आप को सामान्य व्यक्ति से अधिक भागवान आप को गिफ दिया है | लेकिन हम इसे पहचान नहीं पाए और अपना दुस्मन मान ते रहे  आप एक बार हकलाहट को जानबूझ क़र करके तो देखोआप बहुत रिलेक्स पायेगे
अब सवाल उठता है के दोस्त कैसे   बनाये
१- सबसे पहले अपनी बोलने कि स्पीड थोड कम क़र लीजिये - यहाँ पर मै बताना चाहुगा कि स्पीड धीमी से मेरा मतलब यह बिलकुल नहीं है कि  आप गाने जैसा बोले   में----------- आ--------ज----- खा-----ना----- खा----उगा------
आप को स्पीड इतनी धीमी करना है कि जब आप स्वयं  अपनी आवाज सुने  तो आप के समझ में आराम से आये | आप तौर पर देखा यहाँ है कि हकलाने वाले लोग बहुत स्पीड बोलते है यह भी हकलाहट का एक बहुर बड़ा कारण होती है अतः स्पीड को इतना  कण्ट्रोल करो कि आप के समझ में तो आये कि मै क्या बोलता हू यदि आप के ही समझ में नहीं आएगा तो दुसरे आप कि आवाज को कैसे समझ सकते है | स्पीड इतनी होना चाहिए कि------
१ आप कि आवाज आप के स्वाम सुनने पर  आप को सही समझ में आये
२-आप को जो बोलना हो उसे समझने ,सोचने , और सुधारने क़र समय मिले
३- स्पीच ओर्गंस को वर्क करने  का समय मिले
-स्पीच ओर्गंस को काबू करे
१- यदि आप को प्रारंभ में ही बोलने का विश्वास नहीं होता है तो आप
            अ---बोउन्सिंग करके आवाज निकलना प्रारंभ कीजिये मेमेमेमेमेरा  नानानाम  विविव्केंद्र  है यहाँ पर हमने    मेरा शब्द कि पहली ध्वनि को रिपीट किया गया है ( ध्यान रखिये पहले अक्षर को रिपीट नहीं करना है म्मम्म नहीं बोलना है मेमेमेमेमेरा बोलना है |
        बी ---जब आप ऐसा करेगे तो आप कभी कभी सचमुच   हकलाने लगेगे   बार बार करते रहो पहले उन सब्दो में बोउन्सिंग करो जिसे आप सरल मानते है ,फिर धीरे धीरे कठिन शब्दों को भी रिपीट करके बोलो जैसे आआअलहबद  कभी २ बार कभी ४ बार कभी १० बार रिपीट करो
c --- यहाँ पर में batauga  कि  

Monday, August 23, 2010

International Stammering Awareness Day ( ISAD ) 2010

    International Stammering Awareness Day ( ISAD ) 22 \10\2010
  दोस्तों  क्या आप को मालूम है कि दुनिया में International Stammering Awareness Day ( ISAD ) 201० यानि हकलाहट दिवस मनाया जाता है ,पिछले वर्ष हम लोगोने  छोटे स्तर में इसे मनाया था इस वर्ष हम इसे बड़ी धूम धाम से सेलिब्रेट करने कि कोशिश क़र रहे है| मै  सभी हकलाने वाले व्यक्तिओ और पेरेंट्स को सदर आमंत्रित करता हू  मैहर शहर भारत के सेन्ट्रल  बिंदु पर स्थित है मैहर के बारे में अधिक जानकारी जैसे ट्रेन नेम ,लांज ,होटल  लोकेसन आदी के लिए  क्लीक करो  अधिक जानकारी
भाग लेने के लिए नियम व शर्ते 
१ -सभी लोगो को आने जाने  का किराया एवं खर्चे स्वयं  सहेन करना होगा
२- रुकने के लिए यहाँ पर बहुत  लाज  और  धर्मशाला है अधिक जानकारी के लिए  यहाँ क्लिक करो  
इसदिन बहुत भीड़ रहती है क्युकी भारत के कोने कोने से लोग इस डे को मानाने यहाँ आते है  इस लिए अपनी सीट एडवांस बुक करवा  लीजिये २०० रूपये से १००० रूपये प्रतिदिन प्रति व्यक्ति  कि लाज उपलब्ध है 
आप 09300273703 , 09200824582 , पर बात करके सीट बुक करवा लीजिये 
३- आप को २२ एवं २३ octomber  को रहना है तो  २ रात २ दिन का समय ले क़र आये 
४- यह प्रोग्राम आप का आपना है  विल्कुल फ्री है 


प्रोग्राम कि रूप रेखा 
१- यह प्रोग्राम दूसरी बार धूम  धाम से मनाया जा रहा है 
२ यह प्रोग्राम आप का आपना है  विल्कुल फ्री है 
३- इस प्रोग्राम में भारत कि ही नहीं वल्कि बिश्व के लोगो कि सामिल होने कि आशा है 
४- प्रोग्राम दो दिन का होगा
५- मैहर के विधायक नेता  डोक्टर  , एवं जाने मने लोग भी हिस्सा लेगे 
५ प्रोग्राम में एक डिनर एवं एक लंच  संस्था विल्कुल फ्री करेगी 
५ इस प्रोगाम में हकलाना के वारे में विश्रित चर्चा होगी 
६- जो लोग हकलाहट को  स्वाविकार  क़र  के उचाईयो को छू रहे है उन लोगो को एक प्रमाण पत्र एवं  1000 / रुपए नगद  दिया जायेगा  इसके लिए जो व्यक्ति  इक्छुक हो वह ऑनलाइन  आवेदन क़र सकता है 
टाइम  टेबल एवं अन्य जानकारी शीघ्र प्रकाशित कि जाएगी




  

Saturday, August 21, 2010

किसी इन्सान के सामने स्वाविकार करने का मेरा पहला मौका था

दोस्तों आज हम आप से बात करेगे कि हकलाहट को अपना नौकर कैसे बनाया जाय |
१-पहला कदम यही है कि आप हकलाना को स्वबिकार करो कि हां मै हकलाता हू | यहाँ एक बात मै आप को साफ करना चाहता हू कि स्वाविकार करने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप हाथ पर हाथ रखे बैठ जाओ और किस्मत को या   भगवन को कोसते रहो | स्वाविकार का मतलब कि हां मै हकलाता हू ,सभी से खुल क़र बात क़र सकता हू , मै आपनी स्पीच को improve  क़र रहा हू ,मेरा मतलब यह है कि मै कही भी हकलाना के वारे में बात क़र सकता हू ,हकलाना पर बात करते समय भागुगा नहीं ,सर्म नहीं करुगा, आँखे नहीं चुराउगा, ,आत्म ग्यालिन नहीं लूगा | मै खुल क़र बात क़र सकता हू
दोस्तों स्वाविकार करना इतना सरल नहीं है जितना कि लिखना सरल है आप भी मेरी तरह कुछ टिप्स अपना सकते है
मै सबसे पहले, अन्दर से, मन से, संकल्प से , ठन्डे दीमक, से सोचा कि  मै कब तक भागुगा हकलाना से
मै सात दिन तक अपनी कंट्रोलिंग किया -----आदतों को अपना गुलाम बनाया  आदतों का गुलाम स्वयं  नहीं बना
इसके लिए  एक घंटे मौन ब्रत रहा ,मन करता थोड़ी बोलु फिर कोत्रोल करता  इससे मेरे अन्दर एक प्रकार कि इनर्जी आई के हां मै अपनी बोदी को कण्ट्रोल क़र सकता हू| लोगो के सामने यह कहना मेरे बस में नहीं था कि मै हकलाता हू ,हिम्मत बढाने के लिय मै 10 दिन तक अकेले में ही कहता कि हां मै हकलाता हू ,फिर  दिवालो से कहना चालू किया कि हां मै हकलाता हू ,मदिरो में भगवन के सामने कई बार कई दिनों तह roj ३० मिनट मंदिर जाता और कहता हे भगवान मुझे इतनी सकती दे कि मै इसे स्वविकार क़र सकू ,फिर बंदरो गयो भैसों कुत्ता के सामने स्वाविकार किया कि हां मै हकलाता हू | कई बार एसा भी हुआ कि इन जानवरों के सामने बोलने में कोई प्रॉब्लम नहीं आई ,लेकिन जैसे ही मानव के पास गया कि आज तो इस व्यक्ति से हकलाहट के वारे में चर्चा  करू वैसे ही डर गया और विना चर्चा के लौट आया तब एक उपाय और सोचा कि अपने से छोटे लोगो से - हकलाहट के वारे में बात करना चाहिए तब छोटे बच्चो  से मिला और इस प्रकार बात किया
अआप किसी हहक्लाने वाले लोगो से मिले हो  -----चंचल बालक--मुस्कुराकर मेरी ही स्टाईल करके बोलो हाहाहा एक लड़का मेमरी स्कूल  हहाये
मै बोला  उस्स्सका नानाम क्क्क्य है वहबोला विविव्जय
मै कहा कि मै तो हकलाता हू इसलिए एसा बोलता हू  , पर आप ऐसे क्यों बोलते हो? बालका जवाब दिया मजा आती है
---- यही मेरी उम्मीद थी मै बालक को समझाया कि आप को तो  मजा आ रहा है पर हुको बहुत बेकार लग रहा है  तब बालक सिरिअस  हो गया ,यह किसी इन्सान के सामने स्वाविकार करने का मेरा पहला  मौका था हू इसलिए

Friday, August 20, 2010

मै २६ साल तक महा मुर्ख बना रहा

मै  २६ साल तक महा मुर्ख बना रहा | सोचता था बहुत अच्छे से बोलु  कही अटक न जाऊ और जितना ठीक बोलने कि इक्छा मन  में  होती उतना ज्यादा हकलाता | मै सोचता था कि सामने वाले को यह नहीं पता है कि मै हकलाता  हू | और हकला गया तो यह जान जायेगा कि बी.के हकला है | पर दुर्भाग्य यह रहा कि मै छुपा कभी नहीं पाया , हर बार सोचता इस बार बहुत बढ़िया बोलूगा, लोगो को बिलकुल पता नहीं चलना चाहिय  कि मै हकलाना हू , और फिर हकलाता , शर्म से लाल पीला हो जाता |
हकिगत यह थी कि सभी को पता था कि बी.के. हकलाता है ,वह कहते इस लिए नहीं थे कि इसे बुरा न लगे | जबकि मै २६ साल तक  यही समझता रहा कि लोगो को पता ही नहीं है, कि मै हकला हू | एक दो दिन या दो चार माह कि बात हो तो चलता है ,पर पुरे २६ साल  यदि यह गलत फैमि में, मै रहा तो इसे मुर्ख नहीं कह सकते, इसे तो महा मुर्ख कहना ही उचित होगा
दोषतो मै तो  महा मुर्ख  था, पर आप इस गलती को कभी मत दोहराव ,उठो और कहो हा मै हकलाता हू | थोड़ी सी  एक बार सर्म आएगी इसके बाद पूरी जिन्दगी भय मुक्त महसूश करेगे
ढोस्तो सबसे बड़ी समस्या हमारी हकलाहट नहीं है, बल्कि हकला जाने का डर है| जब आप अकेले में होते है तब आप बिलकुल ठीक बोलते है ,पता  है क्यों  ? क्योकि  अकेले में आप के  सामने कोई नहीं होता और लोगो के सामने  हकलाने का डर मन में नहीं आता है ,और हम ठीक बोलते है |
यदि आप, लोगो से कह दोगे  कि हा मै  हकलाता हू तो जिस  उर्जा को आप शब्दों को बदलने, अगेपीछे करने  में खर्च करते है वह आप के सोचने  और समझने में खर्च होगी
हां ये बात सच है कि स्वाविकार करना इतना सरल नहीं है , क्योकि मै स्वाम २६ साल तक ,अधिक काम करने के लिए तैयार था ,पेमेंट कम लेने को तैयार  था ,  मार खाने ,गलत जवाब देने के लिए तैयार था,यहाँ तक कि कई बार आत्मा हत्या करने तक तैयार होगया था , पर हकलाना शब्द सुनने तक को तैयार नहीं था
सबसे पहले मै खुद को समझाया कि है मै हकलाता हू ,इसके बाद गाय, भैस, बकरी , दिवालो  के सामने कई बार कहा  कि हां मै हकलाता हू, इसके बाद अपनी से छोटी उम्र कि लडको के सामने स्वाविकार किया  उनसे खुल क़र हकलाहट के बारे में बात किया , फिर रिक्से वाले ,पान ठेले वालो से कहा कि मै हकलाता हू | इन लोगो से  इसलिए कहा क्योकि  मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मै अपने पापा , मम्मी ,भैया , बहन से कहू कि मै कहलाता हू ,जबकि ऐसा बिलकुल नहीं था कि इनको पता नहीं था , हर क्षण  संघर्ष का होता था मेरे लिए ,इसलिए पता होना स्वाभाविक था ,पर मै यही समझता कि पता चल  जायेगा  तो मेरी बेज्जती होगी , इसलिए आपने आप को समझाना बहुत कठिन था मेरे लिए
आज मै सोचता हू कि जितना उर्जा मै २६ साल तक  अपनी खुबसूरत ,भनवान कि देन हकलाहट को छुपाने  में खर्च क़र रहा था उससे कही कम उर्जा का उपयोग करके इसे स्वाविकार किया जा सकता है, और हकलाना  को अपना नौकर बना क़र रखा जा सकता है | नौकर बना क़र रखने का मजा कि कुछ और है मै अगले ब्लॉग में लिखुगा कि हकलाना को नौकर कैसे बना पाओगे -----------बी.के सिंह  मैहर 09300273703 , 09200824582

" हाँ ! मैं हकलाता हूँ . . . ! "


14 अगस्त 2010 को इस ब्लॉग पर मेरी पोस्ट पर एक साथी ने मुझे फ़ोन कर बताया की उनके परिजन शादी के लिए लड़की देख रहे हैं, पर क्या अपने होने वाले जीवनसाथी से अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में खुलकर बात कर लेना उचित होगा? इस पर मेरी राय यह थी की हाँ, अपने होने वाले लाइफ पार्टनर से इस बारे में बात करने से जीवन की चुनौतिओं का सामना करने में आसानी होगी और बेहतर जीवनसाथी के चुनाव में भी सहायता मिलेगी.

अकसर हम लोग अपनी हकलाहट की समस्या को छिपाने की कोशिश करते हैं, और कुछ हद तक हम इसमे कामयाब भी हो जाते हैं. मेरे कई परिचित ऐसे हैं जिनसे काफी समय से परिचय है फिर भी उन्हें यह नहीं मालूम की मैं हकलाता हूँ. जहाँ तक मेरा अनुभव रहा है की हम अपनी हकलाहट की समस्या से बेवजह डरते हैं. आमतौर पर सिर्फ 20 प्रतिशत लोग ही हमारी समस्या का मजाक बनाते हैं, अधिकतर तो हमारी समस्या को गंभीरता से लेते हैं, और पूरा सहयोग करते हैं. तो हमें अब से उन 80 प्रतिशत लोगों पर ही ध्यान देना है जो हमारे प्रति सहयोगात्मक रवैया अपनाते हैं.

सबसे पहले तो हमें अपनी बात जल्दी से कह देने की आदत से छुटकारा पाना होगा. पहले हमें सामने वाले की बात को पूरा सुनना है, उसके बाद ही अपनी बात बोलनी है. बात करते समय आराम से बार-बार नाक से सांस लेकर बोलना चाहिए. अपने बोलने की गति को थोडा कम रखना चाहिए.

जिस प्रकार आँखें कमजोर होने पर लोग चश्मा लगते हैं, कान से कम सुनाई देने पर हियरिंग एड लगते हैं, ठीक उसी तरह हमें अपनी हकलाहट की समस्या से शरमाने की जरूरत नहीं है, इसे भी सामान्य तौर पर ले. क्योकि लगभग सभी लोग कभी ना कभी हकलाते ही हैं. मंच पर जाने से पहले कई लोगों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन उनका डर दूर होते ही वे एक अच्छे वक्ता बन जाते हैं, ठीक इसी तरह हमें अपना डर दूर भगाना है.

अपनी हकलाहट की समस्या से हमें लड़ना नहीं हैं, बल्कि इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करना है. लोगों से कहना है- " हाँ ! मैं हकलाता हूँ . . . ! " पर हकलाहट पर जल्द ही विजय पा लूँगा.