Friday, August 20, 2010

मै २६ साल तक महा मुर्ख बना रहा

मै  २६ साल तक महा मुर्ख बना रहा | सोचता था बहुत अच्छे से बोलु  कही अटक न जाऊ और जितना ठीक बोलने कि इक्छा मन  में  होती उतना ज्यादा हकलाता | मै सोचता था कि सामने वाले को यह नहीं पता है कि मै हकलाता  हू | और हकला गया तो यह जान जायेगा कि बी.के हकला है | पर दुर्भाग्य यह रहा कि मै छुपा कभी नहीं पाया , हर बार सोचता इस बार बहुत बढ़िया बोलूगा, लोगो को बिलकुल पता नहीं चलना चाहिय  कि मै हकलाना हू , और फिर हकलाता , शर्म से लाल पीला हो जाता |
हकिगत यह थी कि सभी को पता था कि बी.के. हकलाता है ,वह कहते इस लिए नहीं थे कि इसे बुरा न लगे | जबकि मै २६ साल तक  यही समझता रहा कि लोगो को पता ही नहीं है, कि मै हकला हू | एक दो दिन या दो चार माह कि बात हो तो चलता है ,पर पुरे २६ साल  यदि यह गलत फैमि में, मै रहा तो इसे मुर्ख नहीं कह सकते, इसे तो महा मुर्ख कहना ही उचित होगा
दोषतो मै तो  महा मुर्ख  था, पर आप इस गलती को कभी मत दोहराव ,उठो और कहो हा मै हकलाता हू | थोड़ी सी  एक बार सर्म आएगी इसके बाद पूरी जिन्दगी भय मुक्त महसूश करेगे
ढोस्तो सबसे बड़ी समस्या हमारी हकलाहट नहीं है, बल्कि हकला जाने का डर है| जब आप अकेले में होते है तब आप बिलकुल ठीक बोलते है ,पता  है क्यों  ? क्योकि  अकेले में आप के  सामने कोई नहीं होता और लोगो के सामने  हकलाने का डर मन में नहीं आता है ,और हम ठीक बोलते है |
यदि आप, लोगो से कह दोगे  कि हा मै  हकलाता हू तो जिस  उर्जा को आप शब्दों को बदलने, अगेपीछे करने  में खर्च करते है वह आप के सोचने  और समझने में खर्च होगी
हां ये बात सच है कि स्वाविकार करना इतना सरल नहीं है , क्योकि मै स्वाम २६ साल तक ,अधिक काम करने के लिए तैयार था ,पेमेंट कम लेने को तैयार  था ,  मार खाने ,गलत जवाब देने के लिए तैयार था,यहाँ तक कि कई बार आत्मा हत्या करने तक तैयार होगया था , पर हकलाना शब्द सुनने तक को तैयार नहीं था
सबसे पहले मै खुद को समझाया कि है मै हकलाता हू ,इसके बाद गाय, भैस, बकरी , दिवालो  के सामने कई बार कहा  कि हां मै हकलाता हू, इसके बाद अपनी से छोटी उम्र कि लडको के सामने स्वाविकार किया  उनसे खुल क़र हकलाहट के बारे में बात किया , फिर रिक्से वाले ,पान ठेले वालो से कहा कि मै हकलाता हू | इन लोगो से  इसलिए कहा क्योकि  मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मै अपने पापा , मम्मी ,भैया , बहन से कहू कि मै कहलाता हू ,जबकि ऐसा बिलकुल नहीं था कि इनको पता नहीं था , हर क्षण  संघर्ष का होता था मेरे लिए ,इसलिए पता होना स्वाभाविक था ,पर मै यही समझता कि पता चल  जायेगा  तो मेरी बेज्जती होगी , इसलिए आपने आप को समझाना बहुत कठिन था मेरे लिए
आज मै सोचता हू कि जितना उर्जा मै २६ साल तक  अपनी खुबसूरत ,भनवान कि देन हकलाहट को छुपाने  में खर्च क़र रहा था उससे कही कम उर्जा का उपयोग करके इसे स्वाविकार किया जा सकता है, और हकलाना  को अपना नौकर बना क़र रखा जा सकता है | नौकर बना क़र रखने का मजा कि कुछ और है मै अगले ब्लॉग में लिखुगा कि हकलाना को नौकर कैसे बना पाओगे -----------बी.के सिंह  मैहर 09300273703 , 09200824582

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