Saturday, February 20, 2010

हकहालट व कम सुनाई देना लाइलाज नहीं

बच्चों एवं बड़ों में तुतलाहट हकलाहट और कम सुनाई देने की समस्या का निदान आज के दौर में काफी आसान हो गया है। अब कम सुनाई देने वाले व्यक्तियों के लिए अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं। बच्चे में तुतलापन अगर चार साल तक रहता है तो परेशानी की बात नहीं है क्योंकि इस दौरान स्वरतंत्र के विकास की उम्र होती है लेकिन चार साल बाद भी तुतलाहट रहने पर बच्चे को स्पीच थेरेपिस्ट को दिखाना चाहिए। तुतलाहट के इलाज के तौर पर स्पीच थेरेपी दी जाती है जिससे यह ठीक हो जाता है। स्वर विकार की समस्या बालपन से ही तब शुरू होती है जब घर-परिवार के लोग बच्चे की हकलाहट या तुतलाहट को बाल प्रवृति या बाल स्वभाव मान कर उसकी तरफ ध्यान नहीं देते। हकलाने वाले बच्चे या वयस्क आम लोगों की तरह धारा प्रवाह और स्पष्ट बोलकर बीच-बीच में रुककर, शब्दों को तोड़-मरोड़कर या मुख्य शब्द को दुहरा कर बोलते हैं। बोलते समय उनमें कभी-कभी हिचक भी आ जाती है। या वे झिझक का भी अनुभव करते हैं। ऐसे बच्चे कई बार बोलना चाहते हैं लेकिन बोल नहीं पाते। हकलाहट शारीरिक विकार नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक विकार है। हकलाने वाले व्यक्ति के शरीर के अंग या स्वरतंत्र में कोई खराबी नहीं होती। कई बच्चे किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर हकलाने लगते हैं। जब किसी बच्चे का कोई दोस्त या रिश्तेदार हकलाता है तो जाने-अनजाने बच्चा भी उसकी नकल करता है और धीरे-धीरे यह उसकी आदत बन जाती है। हकलाने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व सामान्य व्यक्ति से भिन्न होता है। आमतौर पर हकलाने वाले बच्चे या बड़े दिमाग से कमजोर नहीं होते बल्कि उनकी बुद्धि सामान्य से अधिक होती है। हकलाने वाले बच्चे भावुक और अंतर्मुखी किस्म के होते हैं। बच्चे के मन में यह भावना आ जाए कि किसी व्यक्ति के सामने रुक-रुक कर बोलूंगा, तो मेरी हंसी उड़ाएंगे, तब उनमें हकलाने की प्रवृति और बढ़ जाती है। ऐसे लोग टेलीफोन पर बात करते या इंटरव्यू का सामना करने में घबराते हैं। उन्हें लगता है कि जब लोग मुझसे सवाल करेंगे तो मैं जवाब नहीं दे सकूंगा। हकलाने वाले बच्चे या वयस्क हर समय नहीं हकलाते बल्कि उनका हकलाना परिस्थितियों पर निर्भर करता है, जैसे कोई बच्चा किसी खास वाक्य को सामान्य परिस्थिति में बोलने पर नहीं हकलाता लेकिन उसी वाक्य को विपरीत परिस्थिति में बोलने पर हकलाने लगता है। हकलाने की कोई उम्र नहीं होती। यह किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है। इसका 95 प्रतिशत तक इलाज संभव है। इलाज के तौर पर मरीज की काउंसलिंग (परामर्श) करनी पड़ती है और स्पीचथेरेपी दी जाती है। स्पीच काउंसलिंग के तहत रोगी को यह बताया जाता है कि उसके स्वरतंत्र में कोई खराबी नहीं है, केवल मन में डर बैठा है। व्यक्ति को समझा-बुझाकर उसमें आत्मविश्वास पैदा किया जाता है। स्पीचथैरेपी द्वारा रिलेक्सेशन (तनाव रहित होने) के उपाय बताए जाते हैं। जब किसी बच्चे का उच्चारण साफ नहीं होता तो उसे तोतलापन कहते हैं। बच्चा जब कापी को तापी, रोटी को लोटी बोलता है तब माना जाता है कि वह तुतलाहट से ग्रस्त है। कुछ बच्चे या व्यक्ति एक अक्षर की जगह दूसरा अक्षर बोलते हैं जैसे काफी को तापी, खाओ को थाओ, गाय को दाय, रोटी को लोती बोलते हैं। बच्चों और बड़ों में सबसे सामान्य किस्म की तुतलाहट यही है। कुछ व्यक्ति बोलते समय बीच में किसी एक अक्षर को खा जाते हैं जैसे वे काफी को आपी, रोटी को ओटी बोलते हैं। इसमें शब्द का पहला घटक बिल्कुल गायब हो जाता है जबकि कुछ बच्चे कुछ अक्षरों का उच्चारण साफ नहीं करते हैं। तुतलाने का पहला कारण शारीरिक विकार (आर्गेनिक डिफेक्ट) है। इसमें व्यक्ति के स्वरतंत्र में किसी न किसी तरह की खराबी होती है। जब किसी व्यक्ति की जीभ टन्काई तरह की होती है अर्थात जुड़ी हुई होती है और ऊपर तालू को छूती है तो वह व्यक्ति रोटी को रोती बोलता है। इसमें व्यक्ति के स्वरतंत्र जैसे जीभ, तालू, दांत, जबड़े, होंठ आदि में खराबी होती है। कभी भी तालु छोटा हो सकता है या तालु में छेद हो सकता है। इसके अलावा होंठ कटे फटे रहने से भी यह दोष हो सकता है। दूसरा कारण फंक्शनल विकार है। इसमें स्वरतंत्र बिल्कुल ठीक होता है, फिर भी बच्चा साफ नहीं बोलता है। (स्वास्थ्य दर्पण) -एच.के. पुरी

Sunday, February 14, 2010

बच्चों के तुतलाहट का इलाज

जब तुतलाएँ आपका बच्चा

ND ND
1 सबसे पहले बच्चे को नाक-कान-गले के विशेषज्ञ के पास ले जाएँ और शारीरिक कारणों का पता लगाएँ।

2 आई.क्यू. लेवल का कम या अत्यधिक कम होना : आई.क्यू. टेस्ट द्वारा पता करने के लिए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएँ।

3 अगर शारीरिक त्रुटियाँ हों तो उन्हें दूर करने का प्रयास करें।

4 घर और स्कूल में ऐसे बच्चों को बोलने के लिए प्रेरित करें।

5 बच्चे का मजाक न उड़ाएँ बल्कि प्रेम से पेश आएँ।

6 अगर बच्चे की याददाश्त कमजोर हो तो उसे विकसित करने के लिए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

7 स्पीच थैरेपिस्ट, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट की सलाह से बच्चे के स्पीच का विकास करने का प्रयास करें।

रितिक रोशन पहले हकलाते थे। हकलाना शर्म की बात नहीं

मुंबई। आज पर्दे पर धड़ल्ले से डायलॉग बोलने वाले बॉलीवुड के सुपरस्टार ऋतिक रोशन बचपन में हकलाते थे। वो एक लाइन साफ नहीं बोल पाते थे। उनकी बातें लोगों को समझ में नहीं आती थीं।
फराह खान के टीवी शो तेरे-मेरे बीच में में ऋतिक ने खुद ये खुलासा किया कि वे आज भी एक घंटे रोज स्पीच थेरेपी लेते हैं, जिससे कि वो दोबारा हकलाना ना शुरू कर दें। ऋतिक ने बताया कि डॉक्टर ने उनसे कहा था कि तुम कभी एक्टर नहीं बन पाओगे। तुम 21 साल के हो, कुछ और क्यों नहीं करते।
ऋतिक जब छह साल के थे तभी उन्हें एहसास हो गया कि वो हकलाते हैं। उनकी जिंदगी में कई बार शर्मिंदगी भरे पल आए, जब वो किसी को अपनी बात नहीं समझा पाते थे। यहां तक कि वो ये भी नहीं बोल पाते थे कि वो एक्टर बनना चाहते हैं।
ऋतिक को कभी डॉक्टरों ने ये भी साफ कह दिया था कि वो पूरी जिंदगी में कभी डांस नहीं कर सकते क्योंकि बचपन में ऋतिक की पीठ में डिस्क प्रॉब्लम थी। उनका ज्यादातर वक्त बिस्तर पर ही बीतता था। ऋतिक के मुताबिक हकलाने की आदत दूर करने के लिए उन्होंने अपनी जुबान और जबड़े के बीच संतुलन साधना शुरू किया।
इस बारे में ऋतिक ने बताया कि जब मैं एक टीनएजर हुआ तो मैंने तय कर लिया था कि मुझे एक्टर बनना है और मैंने अपनी कमजोरी पर काम करना शुरू कर दिया। मैं किसी अक्षर पर ना अटक जाऊं इसके लिए मैंने A से Z तक के अक्षरों को अलग-अलग तरीकों से पढ़ना शुरू किया। मुझे याद है एक बार, मैंने 36 घंटे तक एक वाक्य को साफ बोलने की प्रैक्टिस की जिससे मैं अपने कुक को बिना अटके ये बता सकूं कि मुझे खाने में क्या चाहिए। ऋतिक की पहली फिल्म कहो ना प्यार है की रिलीज के बाद एक अवॉर्ड फंक्शन में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
ऋतिक ने बताया कि जब मुझे दुबई में हुए एक अवॉर्ड फंक्शन में बेस्ट डेब्यू का अवॉर्ड मिला तो मैं अपनी स्पीच में आई लव यू दुबई कहना चाहता था। मगर मैं दुबई शब्द ठीक से नहीं बोल पा रहा था। मैं अपने होटल के कमरे में इसकी प्रैक्टिस करना चाहता था लेकिन मुझे ये चिल्ला कर बोलना था इसलिए मैं ये अपने कमरे में नहीं कर सकता था। होटल के उस कमरे में एक बड़ी अलमारी थी। मैंने खुद को उस अलमारी में बंद किया और वहां दुबई बोलने की प्रैक्टिस की। आखिरकार मैंने अवॉर्ड फंक्शन में ये वाक्य बिना अटके कह डाला।
ऋतिक ने बताया कि आज भी रात को सोने से पहले एक घंटे स्पीच थेरेपी लेते हैं ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे। हाल ही में उन्होंने एक स्पीच थेरेपी इंस्टीट्यूट खोला है, ताकि उनके जैसे लोगों को मदद मिल सके।
मनोरंजन की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक

सम्मोहन चिकित्सा द्वारा हकलाना, तुतलाना

प्राय: सभी क्रियागत रोगो मे सम्मोहन लाभदायक है कुछ ऐसे शारीरक रोग होते है जिनके मूल कारण तो मनोवैज्ञानिक होते है, लेकिन उनके साथ शारीरक कारण भी मिश्रित होते है,ऐसे रोगो मे शारीरक चिकित्सा भी होनी चाहिए । सम्मोहन चिकित्सा द्वारा बुरी आदते शराब, सिगरेट से पुर्ण छुटकारा दिलाया जा सकता है । सम्मोहन चिकित्सा द्वारा अनेक निम्न रोगो मे लाभ होता है । सिरदर्द, कमर दर्द, अनिद्रा, मानसिक तनाव, विषाद, लकवा, मिर्गी, कमजोर यादाश्त, हकलाना, तुतलाना, ह्रदय रोग, डर, नंपुसकता, कब्ज, मोटापा, कमजोर आखें, मनोविकार इत्यादि।
बहुत से लोगो की धारणा है की केवल कमजोर इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति को ही सम्मोहित किया जा सकता है, लेकिन यह गलत है, इसके विपरीत द्र्ड इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति को आसानी से सम्मोहित किया जा सकता । हर व्यक्ति को सम्मोहित करने का तरीका समान नही हो सकता । व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर रहता है । पात्र के सुझाव ग्रहण करने की क्षमता को बहुत बढाया जा सकता है उसे कहा जाए कि तुम अभिनेता दिलीप कुमार हो तो वह दिलीप कुमार जैसी अदा दिखलाएगा । अपने को दिलीप कुमार ही मान बैठेगा । सम्मोहन की तन्द्रा मे कभी कभी पात्र को वे सुझाव भी दिए जाते है जिनका संबंध सत्य से परे होता है सम्मोहन के द्वारा व्यक्ति को उसके बचपन की किसी भी अवस्था तक ले जाया जा सकता है अपने गर्भावस्था तक के विषय मे व्यक्ति बता सकता है कुछ सम्मोहन शास्त्रियों का दावा है कि पिछले जन्म के बारे मे भी पात्र से बातें मालुम कर सकते है । इस पर खोज और शोध का सिलसिला जारी है इस मे कुछ आंशिक सफ़लता मिली है अभी हाल ही मे दो तीन व्यक्तियों को सम्मोहित किया और इस लौटाने की प्रक्रिया मे उन्हे धीरे धीरे गर्भावस्था और पिछले पिछले जन्म तक ले जाया गया ।
इसी तरह एक दुसरी लड़ ने बताया कि वह गुजरांवाला के किसी बहुत बड़े हिन्दु परिवार पैदा हुई थी । बचपन मे किसी बिमारी के कारण इसकी मृत्यु हो गई थी । यदपि यह पता लगाना भले ही असंभव हो तथापि किसी भी व्यक्ति को उसकी बचपन की स्थिति तक तो लौटाया जा सकता है । एक रोगिनी की आखें 12 वर्ष की उम्र मे खराब हो गई थी, तब से वह निरंतर चश्मा लगाया करती थी । सम्मोहन तन्द्रा के दौरान जब रोगिनी को 10 वर्ष की अवस्था मे ले जाया गया तो वह बिना चश्मा के पढने लगी । जो परेशानियां उसे चश्मा नही लगाने से होती थी अब चश्मा लगाने से होने लगी । इसके अतिरिक्त व्यक्ति जब जिस उम्र मे ले जाया जाए वह अपनी इस अवस्था की सारी छिपी या प्रगट बाते बतला देगा 76 प्रतिशत तक बातें इनमे सही निकलती है । सम्मोहन मे सम्मोहन करने वाले और सम्मोहित किए जाने वाले के एक तरह का संबंध जुड़ जाता है । जो भी सुझाव वह देता है पात्र सहजता से मानता चला जाता है । क्या सम्मोहन हर व्यक्ति पर किया जा सकता है ? अब तक इस पर व्यापक रुप से सर्वेक्षण नही किया गया है । कहीं-कहीं पर सामूहिक रुप से सम्मोहित करने के परीक्षण किए गए । कुल 5 वर्गो मे सबको विभाजित किया जा सकता है - 1 कुछ लोग सम्मोहित नही होते, 2 कुछ मांसपेशियो का तनाव कम हो जाता है और पलकें झपकने लगती है, 3 कुछ लोग तन्द्रा की स्थिति मे चला जाते है और छूने पर कुछ भी अनुभव नही करते है, 4 इस वर्ग के लोग समाधिस्त हो जाते है । ये उस समय भी सुझाव मानते है और तन्द्रा टुट जाने पर भी सुझावो का पालन करते है केवल 15 प्रतिशत लोग पहले वर्ग मे आते है, जिन्हे आसानी से सम्मोहित हो जाते है । 40 प्रतिशत सो जाते है और छुकर कुछ न अनुभव करने की स्थिति मे उन्हे पहुचाया जा सकता है । 15 प्रतिशत को समाधिस्त अवस्था तक पहुचाया जा सकता है तथा शेष 20 प्रतिशत को गहन समाधि अवस्था तक पहुचाया जाता है इस सारे प्रयोगो से यह बात सिद्ध होती है की शायद सभी व्यक्तियों को सम्मोहित किया जा सकता है यदि सम्मोहन करने वाले का अपने पात्र से संबंध जुड़ जाए । हो सकता है सम्मोहित होने पर व्यक्ति दिए गए सुझावों का पालन करता है तन्द्रा मे ही नही, तन्द्रा के बाद भी उन सुझावो का पालन करना अनिवार्य समझता है । ये सुझाव इतने प्रभावकारी होते है कि इनसे व्यक्ति के बहुत से मानसिक रोग दुर किए जा सकते है किसी को तन्द्रा मे सुझाव दिया जाए सिगरेट पीते ही तुम्हारा सिर भारी होने लगेगा और तुम्हें चक्कर आएगें । जागने जब कभी यह सिगरेट पीने का प्रयास करेगा, उसका सिर भारी हो उठेगा और चक्कर आने लगेगें। इस तरह से उसे वस्तु के प्रति अरुचि पैदा हो जाएगी । इसी तरह शराब, जुआ आदि बुरी लतों से व्यक्ति आसानी से मुक्त हो सकता है मानसिक व्याधियां ही बहुत सी व्याधियो की जड़ है मानसिक रुप से यदि व्यक्ति को स्वस्थ, प्रफ़ुल्ल रखा जा सके तो संसार की आधि से अधिक बुराईयां समाप्त हो सकती है । हमारे मन एवं मस्तिष्क में बहुत सी ग्रन्थियां पैदा हो जाती है सम्मोहन से उनका कारण ढुंढ कर उनका निवारण किया जा सकता है बहुत सी पीड़ाओं एंव बिमारियों का जन्म हमारे विश्वास एंव संवेग के कारण होता है महिलाओं मे बचपन से यह विश्वास भर दिया जाता है कि प्रसव के समय उन्हे अत्यधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है यह बात हर बालिका के मन मे घर कर जाती है । इसलिए प्रसव के दौरान उसका अचेतन उसी के दर्द के अनुसार दर्द महसुस करने के लिए विवश करता है संसार के दुसरे कि स्त्रियों के अनुभवो से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रसव के समय स्त्री को बहुत अधिक दर्द महसुस करने कि जरुरी नही । विभिन्न अंगो को सम्मोहन द्वारा सुन्न करके आसानी से आप्रेशन किया जा सकता है रोगी को पता ही नही चलेगा की आप्रेशन किया जा रहा है मेरे पास एक ऐसा बालक आया जो मानसिक रोगी था । जिसे घर वालो ने ही नही अस्पताल वालो ने भी पागल घोषित कर दिया था । उन्होने उसके अच्छे होने की सभी संभावनाए छोड़ दी थी, इस बालक की सारी बातें सुनकर पता लगा कि बालक प्यार और सहानुभूति का भूखा है इसलिए ऐसा करता रहता था । सम्मोहन चिकित्सा के दौरान तन्द्रावस्था में बालक ने रोग का उपरोक्त कारण बताया । जब उसके माता-पिता को समझाने पर अपने व्यवहार मे परिवर्तन किया जिससे बालक अपने उपेक्षित न समझे तब इसके फ़लस्वरुप बालक पूर्ण स्वस्थ हो गया । जब तक मानसिक रोगी के रोग का मुल कारण न खोजा जाए, तब तक कोई भी सुझाव कारगर न हो पाता । कई बार एक विकार को समाप्त करने मे कई और विकारो को जन्म हो जाता है । सम्मोहन तन्द्रा में उस मुख्य ग्रन्थि का शीघ्र पता चल जाता है जो रोगी के विकास मे बाधक बनी हुई थी। एक रोगी सहानुभूति की आवश्यकता अनुभव पड़ने पर वह दमे के दौरे को आमत्रिंत कर लेता था जब उसके परिवार को हकीकत मालुम पडी और उनके व्यवहार मे परिवर्तन आया, रोगी के दौरे मे सुधार होने लगा । मेरे मतानुसार स्म्मोहन चिकित्सा तभी चिरकालिक सफ़ल सिद्ध हो सकती है जब रोगी के रोग से संबंधित लोगो की भी स्वभाव परिवर्तन हेतु चिकित्सा की जाए। अनेक विद्दार्थियों की स्मरण शक्ति मे चम्तकारिक सुधार सम्मोहन चिकित्सा के बाद आया । सम्मोहन द्वारा कार्यक्षमता मे भी वृद्धि कुछ लोगो मे की गई। आजकल रुस, अमेरिका, फ़्रांस आदि देशो मे सम्मोहन के माधयम से बहुत कार्य किए जा रहे है। किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखने से पुर्व उसे सम्मोहित किया जाता है और सुझाव दिए जाते है कि उस क्षेत्र मे अधिक कुशलता से कार्य करने के लिए उसे क्या क्या करना चाहिए। बहुत सी जगहों मे तो अभिनेताओं, लेखको और चित्रकारो को भी सुझाव दिए जा रहे है, ताकि वे अपन क्षेत्र मे बहुत अधिक सफ़लता प्राप्त करें सकें । कम समय मे विद्दार्थी को अधिक से अधिक सिखाने के लिए भी सम्मोहन का सहारा लिया जा रहा है रोग 2 प्रकार के होते है। एक वे जिनके कारण और कार्यक्षेत्र पुर्णत: शारीरक होते है इन्हे शरीर रोग कहा जाता है। दुसरे वे जिनके मूलत: मनौविज्ञानिक होते है, लेकिन लक्षण पुर्णत: शारीरक होते है उनमें सम्मोहन से कोई लाभ नही होता । हां आपरेशन, दंत, प्रसुति आदि मे सम्मोहन द्वारा उनको पीड़ारहित बनाया जा सकता है अनेक शारीरक रोग ऐसे भी होते है जिनके कारण मनौविज्ञानिक होते है ऐसे रोगो को क्रियागत्त रोग (फ़लस्वरुप डिसीस) कहते है । प्राय: सभी क्रियागत रोगो मे सम्मोहन लाभदायक है कुछ ऐसे शारीरक रोग भी होते है जिनके मूल कारण तो मनौविज्ञानिक होते है, लेकिन उसके साथ कुछ शारीरक कारण भी मिश्रित होते है, ऐसे रोगो मे शारीरक चिकित्सा के साथ सम्मोहन चिकित्सा होनी चाहिए । सम्मोहन चिकित्सा द्वारा बुरी आदते शराब, सिगरेट से पुर्ण छुटकारा दिलाया जा सकता है सम्मोहन चिकित्सा द्वारा अनेक रोगी निम्न रोगो से लाभान्वित हुए।
सिरदर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द, अनिद्रा, मानसिक तनाव, विषाद, लकवा, मिर्गी, कमजोर यादाश्त, हकलाना, तुतलाना, ह्रदय रोग, डर, नपुंसकता, कब्ज, मोटापा, कमजोर आखें, मनोविकार एंव अन्य ।
अपराधियों के अपराध का पता लगाने मे सम्मोहन बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है अपराधी को तन्द्रा की स्थिति मे पहुचाकर उसके जीवन के सारे अज्ञात रहस्य उजागर किए जा सकते है मैने बहुत से रोगियो का इलाज टेलीफ़ोन द्वारा भी किए है वह दिन दुर नही जब सम्मोहन चिकित्सा अपने क्षेत्र मे अस्वस्थ और स्वस्थ व्यक्तियो को रोगो के अज्ञात कारणो का पता करके लाभान्वित कर सकेगा ।
म्मोहन चिकित्सा के नए आयाम तंत्र मंत्र मन्त्र वशीकरण तन्त्र मन्त्र महामृत्य गायत्री सरस्वती मंत्र सम्मोहन महामृत्युंजयर तांत्रिक साधना वशीकरण वशीकरण कामदेव और जादू त्राटक साधना सम्मोहित करने त्राटक का जप तन्त्र शास्त्र सिद्ध स्तोत्र यन्त्र का जाप सरस्वती कात्यायनी सरस्वती सरस्वती साधना वशीकरण कर

xhtmlcssतोरण द्वार|दान दक्षिणा|शर्तें|तन्त्र|मन्त्र|यन्त्र|सम्पर्क करें

हकलाना और उनके प्रभाव

भाषण कठिनाइयाँ और उनके प्रभाव



यदि आप अपने भाषण के साथ कठिनाइयों है, तो आप अकेले नहीं हैं. ताजा आंकड़े कहते हैं कि लोगों के ऊपर एक प्रतिशत ब्रिटेन में एक हकलाना या हकलाना से पीड़ित हैं. इस अनुच्छेद के प्रभाव है कि बड़बड़ा रहे एक व्यक्ति के जीवन पर हो सकता है वर्णन करता है.

मैं किसी को जो एक या हकलाना क्या कुछ लोग एक हकलाना है कि मूल रूप से अठारह वर्ष के लिए अपना जीवन बर्बाद कर दिया था फोन पर काबू पाने किया है. बाईस साल की उम्र में, मैंने तय किया कि यह समय के प्रवाह को प्राप्त करने का प्रयास किया गया. बहुत मेहनत से काम करने के करीब एक साल बाद, मैं हकलाना दूर एक बार और सभी के लिए सफल रही है.

बड़बड़ा रहे विभिन्न तरीकों से लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन ये जिंदगी मैं मुश्किल पाया के पहलुओं थे:

लोगों का परिचय

खाद्य या पेय आदेश

टेलीफोन पर बोलते हुए

साक्षात्कार में शामिल

एक प्रेमिका को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा

दोस्त या परिवार के साथ सामाजिकता

सामान्य में हकलाना मुझे जीवन में दूसरा सबसे अच्छा और स्वीकार किया जीवन एक बहुत बड़ा संघर्ष किया. मैं एक विकलांगता बड़बड़ा पाया गया था और हमेशा के लिए हकलाना पिटाई पर तरीकों की तलाश में.

मैं साल की उम्र से भाषण चिकित्सा भाग चार या पांच. मेरे दृष्टिकोण संभवतः नहीं गया क्या था है अपने मन में चाहिए, मैंने हमेशा माना है कि वे नहीं सच में समझ के रूप में खुद को thay था एक हकलाना था कभी नहीं सकते कि मैं क्या देख रहा था.

स्टीव हिल सहित वेबसाइटों की एक संख्या

माता पिता & हकलाना

जब एक व्यक्ति को एक हकलाना या एक माता पिता का एहसास है कि उनके बच्चे को हकलाना वे अक्सर बाहर कारणों का पता लगाने चाहते विकसित कर रहा है है. तो एक हकलाना क्या कारण हैं? जवाब है बहुत सी बातें हकलाना शुरू करने के लिए किसी को ट्रिगर कर सकते हैं. ये उनमें से कुछ हैं: यह एक दर्दनाक घटना यह परिवार के लोगों में चला सकते हैं स्कूल में एक दोस्त की नकल कर सकते हैं जो एक हकलाना है और फिर यह एक आक्रामक रिश्तेदार पिछले साल मैं एक महिला ग्राहक था पर चिपक जाती है, जो मुझे कहा था कि वह कैसे हो सकता है एक हकलाना विकसित की है. वह धाराप्रवाह था चौबीस साल की उम्र तक. इस उम्र में वह पहली बार, वह बहुत खुश था और एक माँ बनने के बारे में संभावनाओं के बारे में उत्साहित के लिए गर्भवती बन गया. वह जन्म और उसके दोस्तों के बारे में आशंकित था उसे घुमावदार गया है उसके कैसे दर्दनाक अनुभव कह रहा है. उसे पता था कि वे केवल चिढ़ा की कोशिश की और आराम के लिए बनाए गए थे. जन्म दिन आ गया है और दुर्भाग्य से प्रसव कड़ी particulary थी और वह बहुत बुरा कैसे यह वास्तव में किया गया के बारे में चौंक गया था. के बाद बच्चे का जन्म, जो एक स्वस्थ लड़का वह हकलाना विकसित की गई है. सभी लोग हैं, जो हकलाना यह एक कम उम्र, मेरे ग्राहकों के एक दूसरे से धाराप्रवाह था उन्नीस साल की उम्र तक. इस उम्र में वे एक कार दुर्घटना थी और यह उसे ट्रिगर हकलाना

कोई है जो एक हकलाना है मदद

कितने लोग धाराप्रवाह कभी क्या जीवन पर विचार के लिए किसी तरह एक हकलाना के साथ है? एक हकलाना के साथ जीवन के माध्यम से जा रहे हैं बहुत मुश्किल है, और कई बार हकला थोड़ा और compasion सराहना करते हैं. एक हकलाना खुद पर काबू पाने के बाद, मैं अपने दोस्तों से कुछ कहा होगा वे कैसे सोचा कि जीवन की तरह था, एक गंभीर हकलाना रहा. कहा कि मैं काफी कुछ अलग प्रतिक्रिया थी, जिनमें से कुछ मुझे जिम. नाराज: "मैं हमेशा सोचता था कि तुम थोड़ा के लिए अपने आप को माफ करना है और तुम बाहर कर दिया है कि आपके हकलाना कुछ बड़ी खतरनाक समस्या थी. यह आप की तरह बात नहीं कर सकता नहीं है महसूस किया यह सब में है? मैं भी कई बार महसूस किया है कि आप हिम्मत अभाव है, उदाहरण के लिए हमेशा पूछ टोनी तुम्हारे लिए पेय का आदेश है. "पॉल तो अपनी राय दी थी:" मैं यह काफी मजेदार है कि कई बार आप वास्तव में बात कर रही हो जाएगा अच्छी तरह से मिला है, लेकिन कुछ ही मिनटों के भीतर आपको एक शब्द भी बाहर नहीं. "Ashley में शामिल हो सकते हैं:" मैं तुम्हारे लिए एक खेद सा लगा, तुम संघर्ष देख रहा था, बहुत दर्द को देखो. "- यह एक बेहतर टिप्पणी थी! निगेल, एक और दोस्त:" मुझे खुशी है कि मैं हकलाना, नहीं है, लेकिन क्या मुझे लगता है कि तुम समझने की जरूरत है हूँ था कि तुम मुद्दों और समस्याओं के साथ केवल एक ही नहीं थे. मैं बहुत प्रभावित हूँ. मैं ज्यादातर जिम से टिप्पणी से नाराज़ हो गया था, और जवाब है कि आप इसे काबू पाने में कामयाब रहे हैं, हालांकि ":" तो तुम एक हकलाना है लगता है कि जिम तो बुरा नहीं है? ठीक है, मैं चुनौती तुम बार और व्यवस्था की हलके रंग की एक पिंट पर जाने के लिए, लेकिन जब तुम यह आदेश मैं तुम्हारे शब्दों में से कुछ पर हकलाना चाहता हूँ. "मैं उसे पता चला कि मैं कैसे उसे कहने के लिए आदेश है, जब हकलाना चाहता था आदि तो फिर मैं ने कहा: "के बाद आप शब्दों पर stammered है, मैं तुम्हें देखने के लिए कि यह कैसे लगता है और जिस तरह से लोगों को अपने आप को देखो अनुभव करना चाहता हूँ. तुम तो मैं क्या माध्यम से गया की थोड़ा और अधिक समझ सकते हैं. "जिम इस चुनौती से मना कर दिया, यहां तक कि उत्साह और हमारे समूह के विभिन्न सदस्यों से चिढ़ा की भारी राशि के बाद. एक हकलाना होने अच्छा जब कोई है जो एक हकलाना है मांगी मदद नहीं है और उन्हें अपना पूरा समर्थन प्रदान करें. मुझे में है कि मेरे कुछ दोस्तों को मेरे लिए पट्टी में जाना था और मेरे माता पिता बहुत कुछ फोन करने के लिए तैयार थे बहुत भाग्यशाली था कहता है, जैसे डॉक्टर को फोन और कार बीमा. मेरे जीवन में अन्य हालांकि समय कम, अन्य लोग मेरा मजाक बना दिया है और कई बार मैं बहुत निराश हो जाएगा और वापस ले लिया जाएगा और पता नहीं क्यों मुझे यह था जो एक हकलाना. स्टीफन हिल था -----

बचपन ka हकलाना

बचपन हकलाना


एक हकलाना बचपन में सामान्य लोगों के लिए शुरू होता है और अक्सर एक बचपन हकलाना के रूप में निर्दिष्ट है. इस बार बहुत माता पिता और बच्चे के लिए चिंतित है और यह पता है, जहां व्यक्ति कौन है हकलाना के लिए मदद मांगने के लिए मुश्किल है.

वहाँ हकलाना के कई प्रकार हैं. परिवार और दोस्तों को भी नहीं पता है कि एक व्यक्ति के वे जानते हैं कि एक हकलाना है हो सकता है. वजह यह है कि व्यक्ति को हकलाना छिपा कर सकता है, का उपयोग करके शब्द परिहार या शब्द प्रतिस्थापन.

अन्य लोगों को यह नहीं कर पा रहे हैं और क्या वे एक openely अधिक गंभीर हकलाना विचार किया जाएगा है.

एक हकलाना सामान्य अधिक हो जाता है जब एक इंसान है:

दबाव में
जब थक गया
नए लोगों की बैठक
एक असहज स्थिति में बोल
सवाल पूछ रही है, उदाहरण के लिए दिशाओं के लिए पूछ रहा
लोगों को शुरू

बड़बड़ा भी हकला के रूप में कुछ क्षेत्रों में जाना जा सकता है.

हकलाना चिकित्सा:

जो लोग एक हकलाना है जब विभिन्न चिकित्सा की मांग विकल्प हैं. वे एक भाषण चिकित्सक या भाषण रोगविज्ञानी के लिए जा सकते हैं. वैकल्पिक रूप से वे एक भाषण के पाठ्यक्रम में शामिल कर सकते हैं. इन पाठ्यक्रमों के एक समूह के आधार पर या एक से एक के आधार पर हो सकता है.

मैं व्यक्तिगत रूप से पसंद है और एक एक हकलाना पाठ्यक्रमों को सलाह के रूप में मेरा मानना है कि हर व्यक्ति जो एक हकलाना है एक और व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत प्रकार हकलाना है

Tuesday, February 2, 2010

तुतलाना .हकलाता बन सकती है समस्या


बच्चे के मुख से पहला सार्थक शब्द सुनना हर माता-पिता के लिए एक सुखद क्षण होता है। जब वह तुतलाकर बोलने की चेष्टा करता है तो उनका हृदय हर्ष से गदगद् हो जाता है। बच्चे की यह अवस्था काफी मोहक होती है, परंतु देखा गया है कि कुछ बच्चे ठीक समय पर बोलना नहीं सीख पाते। 3-4 वर्ष के होने पर भी वे बोलने की चेष्टा भी नहीं करते और कुछ बच्चे अपने अटपटे, अस्पष्ट उच्चारण के साथ थोड़े ही शब्द बोल सकते हैं। इसके साथ-साथ कुछ बच्चे 15-16 मास की आयु में बोलना शुरू तो कर देते हैं, फिर भी उनमें स्थिरता अथवा निरंतरता नहीं आती। वे एकाएक बोलना बंद कर देते हैं या बोलने में आगे बढ़ने की बजाए पीछे की ओर हटते हैं। 

अतः इन बच्चों का शब्द ज्ञान अपनी उम्र के बच्चों की तुलना में अल्प या संकुचित होता है और वे शब्द जानते भी हैं तो उनमें संज्ञा शब्दों की बहुलता होती है, जिससे वे अपनी आंतरिक आवश्यकताओं व इच्छाओं को मुश्किल से व्यक्त कर पाते हैं। ये बच्चे शब्दों की अपेक्षा संकेतों का अधिक सहारा लेते हैं और ये कई ध्वनि निकाल ही नहीं सकते। जैसे- घोड़े को घोरे, काला को ताला आदि।

देर से बोलने के कार
* आई.क्यू. लेवल का कम होना : आई.क्यू. लेवल बुद्धि की एक माप है, जिसे आई.क्यू. टेस्ट द्वारा आसानी से पता किया जा सकता है। 

* सुनने की शक्ति में न्यूनता : हो सकता है बच्चे की सुनने की शक्ति कम हो, जिससे वह कई आवाजें सुन नहीं पाता और जिससे उन्हें बोल भी नहीं पाता। 

* स्मरण शक्ति कमजोर होना : आयु के साथ-साथ इनकी स्मरण शक्ति नहीं बढ़ती है। लंबे वाक्यों को सुनकर बोलने में इन्हें परेशानी होती है। 

* डेमेज (क्षति) : किसी कारणवश यदि बच्चे के वोकल कॉर्ड, इंटरनल इयर में या इनके नर्वस सिस्टम (तंत्रिकाओं) में अथवा मस्तिष्क के ब्रोंका या वरनिक्स एरिया में क्षति हो जाए, तब भी बच्चे में डिलेड स्पीच देखने में आती है। 

* कनेक्टियोनिस्ट मॉडल : उसके माता-पिता में स्पीच डिफेक्ट हो, दोनों कामकाजी हों तो बच्चों पर ध्यान न दिया जाता हो या फिर अत्यधिक लाड़-प्यार के कारण बच्चे को बोलने के लिए प्रोत्साहित न किया जाता हो। इन कारणों से भी डिलेड स्पीच देखने में आती है। 

*भावनात्मक कारण : अगर बच्चा एकाएक बोलना बंद कर दे या कम बोलने लगे, तुतलाकर या हकलाकर बोलने लगे अर्थात वाणी में कोई भी परिवर्तन जो अचानक हो तो उसके साथ बच्चे के इमोशंस जुड़े होते हैं।

children
NDND
इलाज

* सबसे पहले बच्चे को नाक-कान-गले के विशेषज्ञ के पास ले जाएँ और शारीरिक कारणों का पता लगाएँ। 

* आई.क्यू. लेवल का कम या अत्यधिक कम होना : आई.क्यू. टेस्ट द्वारा पता करने के लिए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएँ। 

* अगर शारीरिक त्रुटियाँ हों तो उन्हें दूर करने का प्रयास करें। 

* घर और स्कूल में ऐसे बच्चों को बोलने के लिए प्रेरित करें। 

* बच्चे का मजाक न उड़ाएँ बल्कि प्रेम से पेश आएँ। 

* अगर बच्चे की याददाश्त कमजोर हो तो उसे विकसित करने के लिए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। 

* स्पीच थैरेपिस्ट, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट की सलाह से बच्चे के स्पीच का विकास करने का प्रयास करें।