Sunday, February 14, 2010

सम्मोहन चिकित्सा द्वारा हकलाना, तुतलाना

प्राय: सभी क्रियागत रोगो मे सम्मोहन लाभदायक है कुछ ऐसे शारीरक रोग होते है जिनके मूल कारण तो मनोवैज्ञानिक होते है, लेकिन उनके साथ शारीरक कारण भी मिश्रित होते है,ऐसे रोगो मे शारीरक चिकित्सा भी होनी चाहिए । सम्मोहन चिकित्सा द्वारा बुरी आदते शराब, सिगरेट से पुर्ण छुटकारा दिलाया जा सकता है । सम्मोहन चिकित्सा द्वारा अनेक निम्न रोगो मे लाभ होता है । सिरदर्द, कमर दर्द, अनिद्रा, मानसिक तनाव, विषाद, लकवा, मिर्गी, कमजोर यादाश्त, हकलाना, तुतलाना, ह्रदय रोग, डर, नंपुसकता, कब्ज, मोटापा, कमजोर आखें, मनोविकार इत्यादि।
बहुत से लोगो की धारणा है की केवल कमजोर इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति को ही सम्मोहित किया जा सकता है, लेकिन यह गलत है, इसके विपरीत द्र्ड इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति को आसानी से सम्मोहित किया जा सकता । हर व्यक्ति को सम्मोहित करने का तरीका समान नही हो सकता । व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर रहता है । पात्र के सुझाव ग्रहण करने की क्षमता को बहुत बढाया जा सकता है उसे कहा जाए कि तुम अभिनेता दिलीप कुमार हो तो वह दिलीप कुमार जैसी अदा दिखलाएगा । अपने को दिलीप कुमार ही मान बैठेगा । सम्मोहन की तन्द्रा मे कभी कभी पात्र को वे सुझाव भी दिए जाते है जिनका संबंध सत्य से परे होता है सम्मोहन के द्वारा व्यक्ति को उसके बचपन की किसी भी अवस्था तक ले जाया जा सकता है अपने गर्भावस्था तक के विषय मे व्यक्ति बता सकता है कुछ सम्मोहन शास्त्रियों का दावा है कि पिछले जन्म के बारे मे भी पात्र से बातें मालुम कर सकते है । इस पर खोज और शोध का सिलसिला जारी है इस मे कुछ आंशिक सफ़लता मिली है अभी हाल ही मे दो तीन व्यक्तियों को सम्मोहित किया और इस लौटाने की प्रक्रिया मे उन्हे धीरे धीरे गर्भावस्था और पिछले पिछले जन्म तक ले जाया गया ।
इसी तरह एक दुसरी लड़ ने बताया कि वह गुजरांवाला के किसी बहुत बड़े हिन्दु परिवार पैदा हुई थी । बचपन मे किसी बिमारी के कारण इसकी मृत्यु हो गई थी । यदपि यह पता लगाना भले ही असंभव हो तथापि किसी भी व्यक्ति को उसकी बचपन की स्थिति तक तो लौटाया जा सकता है । एक रोगिनी की आखें 12 वर्ष की उम्र मे खराब हो गई थी, तब से वह निरंतर चश्मा लगाया करती थी । सम्मोहन तन्द्रा के दौरान जब रोगिनी को 10 वर्ष की अवस्था मे ले जाया गया तो वह बिना चश्मा के पढने लगी । जो परेशानियां उसे चश्मा नही लगाने से होती थी अब चश्मा लगाने से होने लगी । इसके अतिरिक्त व्यक्ति जब जिस उम्र मे ले जाया जाए वह अपनी इस अवस्था की सारी छिपी या प्रगट बाते बतला देगा 76 प्रतिशत तक बातें इनमे सही निकलती है । सम्मोहन मे सम्मोहन करने वाले और सम्मोहित किए जाने वाले के एक तरह का संबंध जुड़ जाता है । जो भी सुझाव वह देता है पात्र सहजता से मानता चला जाता है । क्या सम्मोहन हर व्यक्ति पर किया जा सकता है ? अब तक इस पर व्यापक रुप से सर्वेक्षण नही किया गया है । कहीं-कहीं पर सामूहिक रुप से सम्मोहित करने के परीक्षण किए गए । कुल 5 वर्गो मे सबको विभाजित किया जा सकता है - 1 कुछ लोग सम्मोहित नही होते, 2 कुछ मांसपेशियो का तनाव कम हो जाता है और पलकें झपकने लगती है, 3 कुछ लोग तन्द्रा की स्थिति मे चला जाते है और छूने पर कुछ भी अनुभव नही करते है, 4 इस वर्ग के लोग समाधिस्त हो जाते है । ये उस समय भी सुझाव मानते है और तन्द्रा टुट जाने पर भी सुझावो का पालन करते है केवल 15 प्रतिशत लोग पहले वर्ग मे आते है, जिन्हे आसानी से सम्मोहित हो जाते है । 40 प्रतिशत सो जाते है और छुकर कुछ न अनुभव करने की स्थिति मे उन्हे पहुचाया जा सकता है । 15 प्रतिशत को समाधिस्त अवस्था तक पहुचाया जा सकता है तथा शेष 20 प्रतिशत को गहन समाधि अवस्था तक पहुचाया जाता है इस सारे प्रयोगो से यह बात सिद्ध होती है की शायद सभी व्यक्तियों को सम्मोहित किया जा सकता है यदि सम्मोहन करने वाले का अपने पात्र से संबंध जुड़ जाए । हो सकता है सम्मोहित होने पर व्यक्ति दिए गए सुझावों का पालन करता है तन्द्रा मे ही नही, तन्द्रा के बाद भी उन सुझावो का पालन करना अनिवार्य समझता है । ये सुझाव इतने प्रभावकारी होते है कि इनसे व्यक्ति के बहुत से मानसिक रोग दुर किए जा सकते है किसी को तन्द्रा मे सुझाव दिया जाए सिगरेट पीते ही तुम्हारा सिर भारी होने लगेगा और तुम्हें चक्कर आएगें । जागने जब कभी यह सिगरेट पीने का प्रयास करेगा, उसका सिर भारी हो उठेगा और चक्कर आने लगेगें। इस तरह से उसे वस्तु के प्रति अरुचि पैदा हो जाएगी । इसी तरह शराब, जुआ आदि बुरी लतों से व्यक्ति आसानी से मुक्त हो सकता है मानसिक व्याधियां ही बहुत सी व्याधियो की जड़ है मानसिक रुप से यदि व्यक्ति को स्वस्थ, प्रफ़ुल्ल रखा जा सके तो संसार की आधि से अधिक बुराईयां समाप्त हो सकती है । हमारे मन एवं मस्तिष्क में बहुत सी ग्रन्थियां पैदा हो जाती है सम्मोहन से उनका कारण ढुंढ कर उनका निवारण किया जा सकता है बहुत सी पीड़ाओं एंव बिमारियों का जन्म हमारे विश्वास एंव संवेग के कारण होता है महिलाओं मे बचपन से यह विश्वास भर दिया जाता है कि प्रसव के समय उन्हे अत्यधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है यह बात हर बालिका के मन मे घर कर जाती है । इसलिए प्रसव के दौरान उसका अचेतन उसी के दर्द के अनुसार दर्द महसुस करने के लिए विवश करता है संसार के दुसरे कि स्त्रियों के अनुभवो से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रसव के समय स्त्री को बहुत अधिक दर्द महसुस करने कि जरुरी नही । विभिन्न अंगो को सम्मोहन द्वारा सुन्न करके आसानी से आप्रेशन किया जा सकता है रोगी को पता ही नही चलेगा की आप्रेशन किया जा रहा है मेरे पास एक ऐसा बालक आया जो मानसिक रोगी था । जिसे घर वालो ने ही नही अस्पताल वालो ने भी पागल घोषित कर दिया था । उन्होने उसके अच्छे होने की सभी संभावनाए छोड़ दी थी, इस बालक की सारी बातें सुनकर पता लगा कि बालक प्यार और सहानुभूति का भूखा है इसलिए ऐसा करता रहता था । सम्मोहन चिकित्सा के दौरान तन्द्रावस्था में बालक ने रोग का उपरोक्त कारण बताया । जब उसके माता-पिता को समझाने पर अपने व्यवहार मे परिवर्तन किया जिससे बालक अपने उपेक्षित न समझे तब इसके फ़लस्वरुप बालक पूर्ण स्वस्थ हो गया । जब तक मानसिक रोगी के रोग का मुल कारण न खोजा जाए, तब तक कोई भी सुझाव कारगर न हो पाता । कई बार एक विकार को समाप्त करने मे कई और विकारो को जन्म हो जाता है । सम्मोहन तन्द्रा में उस मुख्य ग्रन्थि का शीघ्र पता चल जाता है जो रोगी के विकास मे बाधक बनी हुई थी। एक रोगी सहानुभूति की आवश्यकता अनुभव पड़ने पर वह दमे के दौरे को आमत्रिंत कर लेता था जब उसके परिवार को हकीकत मालुम पडी और उनके व्यवहार मे परिवर्तन आया, रोगी के दौरे मे सुधार होने लगा । मेरे मतानुसार स्म्मोहन चिकित्सा तभी चिरकालिक सफ़ल सिद्ध हो सकती है जब रोगी के रोग से संबंधित लोगो की भी स्वभाव परिवर्तन हेतु चिकित्सा की जाए। अनेक विद्दार्थियों की स्मरण शक्ति मे चम्तकारिक सुधार सम्मोहन चिकित्सा के बाद आया । सम्मोहन द्वारा कार्यक्षमता मे भी वृद्धि कुछ लोगो मे की गई। आजकल रुस, अमेरिका, फ़्रांस आदि देशो मे सम्मोहन के माधयम से बहुत कार्य किए जा रहे है। किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखने से पुर्व उसे सम्मोहित किया जाता है और सुझाव दिए जाते है कि उस क्षेत्र मे अधिक कुशलता से कार्य करने के लिए उसे क्या क्या करना चाहिए। बहुत सी जगहों मे तो अभिनेताओं, लेखको और चित्रकारो को भी सुझाव दिए जा रहे है, ताकि वे अपन क्षेत्र मे बहुत अधिक सफ़लता प्राप्त करें सकें । कम समय मे विद्दार्थी को अधिक से अधिक सिखाने के लिए भी सम्मोहन का सहारा लिया जा रहा है रोग 2 प्रकार के होते है। एक वे जिनके कारण और कार्यक्षेत्र पुर्णत: शारीरक होते है इन्हे शरीर रोग कहा जाता है। दुसरे वे जिनके मूलत: मनौविज्ञानिक होते है, लेकिन लक्षण पुर्णत: शारीरक होते है उनमें सम्मोहन से कोई लाभ नही होता । हां आपरेशन, दंत, प्रसुति आदि मे सम्मोहन द्वारा उनको पीड़ारहित बनाया जा सकता है अनेक शारीरक रोग ऐसे भी होते है जिनके कारण मनौविज्ञानिक होते है ऐसे रोगो को क्रियागत्त रोग (फ़लस्वरुप डिसीस) कहते है । प्राय: सभी क्रियागत रोगो मे सम्मोहन लाभदायक है कुछ ऐसे शारीरक रोग भी होते है जिनके मूल कारण तो मनौविज्ञानिक होते है, लेकिन उसके साथ कुछ शारीरक कारण भी मिश्रित होते है, ऐसे रोगो मे शारीरक चिकित्सा के साथ सम्मोहन चिकित्सा होनी चाहिए । सम्मोहन चिकित्सा द्वारा बुरी आदते शराब, सिगरेट से पुर्ण छुटकारा दिलाया जा सकता है सम्मोहन चिकित्सा द्वारा अनेक रोगी निम्न रोगो से लाभान्वित हुए।
सिरदर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द, अनिद्रा, मानसिक तनाव, विषाद, लकवा, मिर्गी, कमजोर यादाश्त, हकलाना, तुतलाना, ह्रदय रोग, डर, नपुंसकता, कब्ज, मोटापा, कमजोर आखें, मनोविकार एंव अन्य ।
अपराधियों के अपराध का पता लगाने मे सम्मोहन बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है अपराधी को तन्द्रा की स्थिति मे पहुचाकर उसके जीवन के सारे अज्ञात रहस्य उजागर किए जा सकते है मैने बहुत से रोगियो का इलाज टेलीफ़ोन द्वारा भी किए है वह दिन दुर नही जब सम्मोहन चिकित्सा अपने क्षेत्र मे अस्वस्थ और स्वस्थ व्यक्तियो को रोगो के अज्ञात कारणो का पता करके लाभान्वित कर सकेगा ।
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